Thursday, 10 September 2020

जानिए कब,कहाँ,कैसे और किस प्रकार की होगी मृत्यु

 

मृत्यु एक अटल सत्य है। कोई इसे बदल नहीं सकता। कब किस कारण, किसकी मौत होगी ये कोई भी नहीं कह सकता। कुछ लोगो की मृत्यु कम उम्र में ही हो जाती है इसे अकाल मृत्यु कहा जाता है।जब कुंडली में कुछ अशुभ योग बनते है फलस्वरूप जातक की अकाल मृत्यु का योग बनता है। ये अशुभ योग किन ग्रहों के कारण बनते है इसकी जानकारी नीचे दी गयी है।

1.     जिसकी कुंडली में लगन में मंगल हो और उस पर सूर्य या शनि की अथवा दोनों की दृष्टि पद रही हो तो दुर्घटना में मृत्यु होने की सम्भावना रहती है ।

2.     राहु -मंगल की युति अथवा दोनों का समसप्तक होकर एक दूसरे को देखना भी दुर्घटना में मृत्यु होने का कारण हो सकता है ।

3.     छठे भाव का स्वामी पापग्रह से युक्त होकर छठे या आठवे भाव में हो तो दुर्घटना में मृत्यु होने का भय रहता है ।

4.     ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, लग्न भाव,दुसरे भाव तथा बारहवे भाव में अशुभ गृह की स्थिति हत्या का कारण हो सकती है ।

5.     दशवे भाव की नवांश राशि का स्वामी राहु अथवा केतु के साथ स्थित हो तो व्यक्ति की मृत्यु अस्वाभाविक होती है ।

6.     लग्नेश तथा मंगल की युति छठे,आठवें या बारहवे भाव में हो तो जातक की मृत्यु शस्त्र वार से हो सकती है ।

7.     मंगल दुसरे सातवें और आठवें भाव में हो और उस पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि हो तो जातक की मृत्यु आग से होने की प्रबल सम्भावना है

 

अगर किसी व्यक्ति की मौत 64 से अधिक एवं 120 वर्ष की आयु तक होती है तो उसे मृत्यु को दीर्घायु योग या पूर्णायु कहा जाता है। यदि जन्म लग्नेश सूर्य का मित्र हो तो व्यक्ति को पूर्णायु प्राप्त होती है। लग्नेश केंद्र में गुरु शुक्र के साथ हो या इनकी दृष्टि हो तो जातक संभवतया पूर्णायु  का भोग करता है।इस प्रकार के जातको को जीवन के अंतिम समय तक शिव(सदा शिव) और विष्णु की उपासना करनी चाहिए। नीचे दी गयी विधि/गणना के माध्यम से इस प्रकार के जातक की मृत्यु की संभवित भविष्यवाणी कर सकते है। यह बहुत ही सरलतम विधि है।

इस गणना को करने के लिए सर्वप्रथम हमें जातक की लगन कुंडली,जन्म दिन राशि कि जानकरी होनी चाहिए मैं यहाँ पर इस विधि को एक उदाहरण कुंडली के माध्यम से समझाने की कोशिस कर रहा हूँ आशा करता हूँ आप को बड़ी ही सरलता से समझ में आएगी।

उदाहरण कुंडली

   


 



















 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

कहाँ

1, 4,7,10                      घर से दूर

2, 5,8,11                      निवास स्थान

3, 6,9,12                      मार्ग में/अस्पताल में

इस कुंडली में 8 वे घर में नंबर 6 है अतः मृत्यु मार्ग में/अस्पताल में होने की सम्भावना होगी

 

 

कैसे

सूर्य/5 नंबर                       अग्नि,ज्वर,हड्डी,ह्रदय

चंद्र/4 नंबर                       सग्रहणी,रक्त विकार,किडनी

मंगल/1, 8 नंबर                  शस्त्र, आग,चोट,कर्क रोग, फोड़े फुंसी

बुध/3, 6 नंबर                    चर्म रोग,बुखार,नसों से सम्बंधित रोग

गुरु/9, 12 नंबर                   कफ, असाधय रोग

शुक्र/2, 7 नंबर                   मूत्राशय रोग, गुप्त रोग

शनि/राहु/केतु/10, 11 नंबर       भूख,से मृत्यु, नसों के विकार,विष 

 

इस कुंडली में 8 वे घर में नंबर 6 और केतु गृह है अतः मृत्यु के संभवित कारण निम्नलिखित होंगे

चर्म रोग,बुखार,नसों से सम्बंधित रोग, भूख,से मृत्यु, विष 

 

किस प्रकार

अगर कुंडली के 8 वे घर में गुरु,शुक्र,बुध,चंद्र में से कोई एक या अधिक गृह है तो व्यक्ति की मृत्यु सहज होगी इन ग्रहो में से जितने ज्यादा गृह  8 वे घर में होंगे सहजता उतनी ही बढ़ती जाएगी

 

अगर कुंडली के 8 वे घर में मंगल,सूर्य,केतु,शनि में से कोई एक या अधिक गृह है तो व्यक्ति की मृत्यु कष्टदायक होगी इन ग्रहो में से जितने ज्यादा गृह 8 वे घर में होंगे कष्ट का प्रभाव उतना ही बढ़ता जायेगा

इस कुंडली में 8 वे घर में केतु गृह है अतः मृत्यु बहुत कम कष्टदायक होगी

  

कब     

संभवित आयु ज्ञात करने का सूत्र= (राशि के अनुसार आयु +दिन के अनुसार आयु)/2

उदाहरण कुंडली के अनुसार मकर राशि (81 वर्ष) बुधवार (64 वर्ष)

संभवित आयु =(81+64)/2 => 72.5 वर्ष  

1987+72.5= 2059-2060                                              

जैसा की हम जानते है की मारक गृह/घर 2, 7 और 8 होते है तो जातक की मृत्यु इन्ही घरों के स्वामी ग्रहों की दशा में होने की प्रबल सभांवना होगी

उदाहरण कुंडली के अनुसार

2 घर का स्वामी                      गुरु (12 नंबर के कारन)

7 घर का स्वामी                      सूर्य (5 नंबर के कारन)

8 घर का स्वामी                      बुध (6 नंबर के कारन)

 



 

 

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