ज्योतिष में नौ गृह है वे है सूर्य,चंद्रमाँ,मंगल,बुध,गुरु,शुक्र,शनि,राहु और केतु होते है |जीवन इन नौ ग्रहो के प्रभावों का परिणाम है| हमारी कुंडली में ये गृह अलग-अलग घरो में बैठते है और अपना परिणाम दिखाते होते है | कुंडली पढ़कर हम हमारे जीवन में ग्रहो के प्रभावों को जान सकते है |
1. सूर्य गृह : सूर्य का सम्बन्ध आत्मा से है, शक्ति से है,नाम,यश से है,ये अग्नि से भी समबन्ध रखता है, धैर्य,समबन्ध,उच्च अधिकारी वर्ग,गुस्सा,बुढ़ापा ,पिता,ज्ञान,पवित्रता,गंजापन,आँखों, पहाड़ी इलाके,ताम्बा,सोना ,यात्रा आदि से सम्बन्ध रखता है अतः इन सब विषयो को जानने के लिए कुंडली में सूर्य की स्थिति,शक्ति,दृष्टि आदि को देखा जाता है|
1. सूर्य गृह : सूर्य का सम्बन्ध आत्मा से है, शक्ति से है,नाम,यश से है,ये अग्नि से भी समबन्ध रखता है, धैर्य,समबन्ध,उच्च अधिकारी वर्ग,गुस्सा,बुढ़ापा ,पिता,ज्ञान,पवित्रता,गंजापन,आँखों, पहाड़ी इलाके,ताम्बा,सोना ,यात्रा आदि से सम्बन्ध रखता है अतः इन सब विषयो को जानने के लिए कुंडली में सूर्य की स्थिति,शक्ति,दृष्टि आदि को देखा जाता है|
2. चन्द्रमा गृह : चन्द्रमा का सम्बन्ध भोजन,चांदी,शंख,जल,कपडे,घी,तेल,नींद,बुद्दिमता,कफ, मानसिक स्थिति,पाप और पुण्य, आत्म शक्ति,अस्थिरता,महिला वर्ग आदि से है अतः इन सब विषयो को जानने के लिए कुंडली में चंद्र की स्थिति को देखा जाता है|
3. मंगल गृह : मंगल का सम्बन्ध शक्ति से,गुस्से से,लड़ाई से,शस्त्र से,चोरी से, दुश्मन से,लाल रंग से,ताम्बा, राजयोग से,मूर्खता से, धैर्य से, खून से, भाई से, कामुकता से, वाहन से, आदि से है अतः इन सब विषयो को जानने के लिए कुंडली में चंद्र की स्थिति,शक्ति,दृष्टि आदि को देखा जाता है|
4. बुध गृह : बुद्धिमता,ज्ञान,घोडा,खजाना,गणित,बात करने की कला, लिखने की कला,कपडा,बंगला,कला का ज्ञान, ज्योतिष,तीर्थ यात्रा,भाषण दें की शक्ति, नपुंसकता,नाना, चिकित्सा,गला,बहन,तंत्र मंत्र, आयुर्वेद आदि का सम्बन्ध बुध गृह से है अतः इन सब विषयो को जानने के लिए कुंडली में बुध की स्थिति,शक्ति,दृष्टि आदि को देखा जाता है|
5. ब्रहस्पति गृह : ब्रहस्पति गृह का सम्बन्ध ज्ञान से है,अच्छे कार्यो से है, धर्म से है, पढाई से है, अच्छे पद से है,भोजन से है,पारिवारिक ख़ुशी से है,जवावदारी से है,बचत से है,यश,नाम तार्किक शक्ति, पुत्र,पेट की समस्या, दादाजी बड़े घर,बड़े भाई, दान,गुरु भक्ति,चातुर्य, आदि का सम्बन्ध गुरु गृह से है अतः इन सब विषयो को जानने के लिए कुंडली में गुरु की स्थिति को देखा जाता है|
6. शुक्र गृह : शुक्र गृह का सम्बन्ध हीरा,शादी,प्रेम,स्त्री,काम शक्ति,फूल,सुंदरता,नाम,चाँदी,सौन्द्रया प्रशाधन की वस्तुए,गाने की शक्ति,नृत्य कला, मनोरंजन,कला,कमजोरी, रहस्य आदि से है अतः इन सब विषयो को जानने के लिए कुंडली में शुक्र की स्थिति को देखा जाता है|
7. शनि गृह : शनि गृह का सम्बन्ध अंतर्मूखता,अलस्यता,रुकावटों,त्वचा समस्यांओ,दुःख,मौत से है,इसके अलावा जंगल,डर ,बुढ़ापा,लिवर, कठोर परिश्रम,नाड़ी, तामसिक प्रवति,भैंस,बकरी,कुत्ता,चोरी, आदि से भी शनि का सम्बन्ध है, अतः इन सब विषयो को जानने के लिए कुंडली में शनि की स्थिति,शक्ति,दृष्टि आदि को देखा जाता है|
8. राहु गृह : राहु गृह का सम्बन्ध,छाता,राज्य,बचत,शूद्र जाती,कुतर्क,पाप,अधर्मी व्यक्ति,तीर्थ,झूठ,भ्रम,मौत का समय,स्वांस की समस्या, कटु बचन,अचानक होने वाली घटनाये आदि से है,अतः इन सब विषयो को जानने के लिए कुंडली में राहु की स्थिति को देखा जाता है|
9. केतु गृह : केतु गृह का सम्बन्ध मुक्ति,शिव पूजा, चिकत्सा के कार्य,कुत्ता,मुर्गा,नाम,भुखार, साधुता,वात की समस्या,संपत्ति,पत्थर से चोट,मूर्खता,कांन्टे, भाग्य,सींग आदि से है,अतः इन सब विषयो को जानने के लिए कुंडली में केतु की स्थिति को देखा जाता है|
यदि कुंडली में उपस्थित गृह शक्तिशाली है तो जातक को सम्बंधित वस्तुए बड़ी ही आसानी से प्राप्त हो जाएँगी अगर सम्बंधित गृह कमजोर है तो सम्बंधित वस्तुए मिलने में बड़ी कठिनाईओं का सामना करना पड़ेगा |
कुंडली में विभिन्न भावो से सम्बंधित कारक गृह
यदि कुंडली में उपस्थित गृह शक्तिशाली है तो जातक को सम्बंधित वस्तुए बड़ी ही आसानी से प्राप्त हो जाएँगी अगर सम्बंधित गृह कमजोर है तो सम्बंधित वस्तुए मिलने में बड़ी कठिनाईओं का सामना करना पड़ेगा |
कुंडली में विभिन्न भावो से सम्बंधित कारक गृह
1. सूर्य कुंडली के प्रथम भाव से सम्बंधित मुख्य गृह है |
2. ब्रहस्पति कुंडली के द्वितीय भाव से सम्बंधित मुख्य कारक गृह है |
3. मंगल कुंडली के तृतीया भाव से सम्बंधित मुख्य कारक गृह है |
4. बुध और चन्द्रमा कुंडली के चतुर्थ भाव से सम्बंधित मुख्य कारक गृह है |
5. ब्रहस्पति कुंडली के पंचम भाव से सम्बंधित मुख्य कारक गृह भी है |
6. शनि और मंगल कुंडली के षस्टम भाव से सम्बंधित मुख्य कारक गृह है |
7. शुक्र का सम्बन्ध कुंडली के सांतवे घर से है |
8. शनि का सम्बन्ध कुंडली के आंठवे घर से है |
9. सूर्य और ब्रहस्पति कुंडली के 9 वे भाव से सम्बंधित मुख्य कारक गृह भी है |
10. सूर्य, ब्रहस्पति,बुध और शनि कुंडली का सम्बन्ध कुंडली के 10 वे घर/भाव से है |
11. ब्रहस्पति कुंडली के 11 वे घर/भाव से सम्बंधित भी है |
12. शनि कुंडली के 12 वे घर/भाव से सम्बंधित भी है |
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